लोकसंवेदना दस्तक। हिम्मतसिंह बछानिया
भोपाल, 24 फरवरी को मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र में जयस संरक्षक एवं मनावर विधायक डॉ हीरालाल अलावा राज्यपाल के अभिभाषण के खिलाफ जमकर बोले। राज्यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में कही भी आदिवासी विकास पर बात नहीं रखी। जिसके चलते आदिवासियों के विकास के मुद्दों को लेकर विधायक डॉ अलावा जमकर गरजे और 5वीं-6वीं अनुसूची और पैसा कानून को लागू करवाने की बात रखी।"जब हम देश के गरिबों, आदिवासियों और पिछड़े समाज आर्थिक रूप से मजबूत करेंगे, तब जाकर देश मजबूत होगा..."आपको बता दें, डॉ अलावा आदिवासियों ने संवैधानिक अधिकारों के मुद्दों को प्राथमिकता से विधानसभा में रखने के लिए ही राजनीति की ओर अपना रूख किया और इन्हीं मुद्दों के चलते जनता ने जीताकर उनको विधानसभा पहुंचाया।
मध्यप्रदेश के पहले ऐसे विधायक है, जो आदिवासियों के हक अधिकारों एवं शोषण, अन्याय, अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते रहते हैं। डॉ अलावा ने हमेशा स्वयं को एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में समझा। इसी कारण आज मध्यप्रदेश सहित देश के 15 राज्यों के युवा वर्ग में मजबूत पकड़ बनाये हुए, युवाओं के ऑइकन बने हुए है।
जबकि मध्यप्रदेश आदिवासी बहुल प्रदेश हैं, विधानसभा में 47 आदिवासी विधायक में से सिर्फ़ एक विधायक डॉ हीरा अलावा ने ही आदिवासियों के चौमुखी विकास के मुद्दों को लेकर सत्ताधारी सरकार को घेरा। बाकी विधायकों को भी क्षेत्र की जनता की परेशानियों को और आदिवासियों के उत्थान, विकास के मुद्दों को प्राथमिकता से रखने के लिए आवाज बुलंद करना चाहिए। मध्यप्रदेश में 47 विधानसभाओं को आदिवासियों के लिए आरक्षित रखा गया, ताकि इन सीटों पर आदिवासी समुदाय का ही विधायक बनकर क्षेत्रों की मुलभूत समस्याओं का समाधान करे, क्षेत्र से पलायन रोककर, आदिवासियों को उत्थान, विकास, रोजगार से जोड़कर मुख्यधारा में लाकर खड़ा कर सके । लेकिन वर्तमान स्थिति कुछ ओर ही दिखा रही है, एक-दो विधायक ही होगें जो आदिवासियों को देश की मुख्यधारा में लाने का सपना देखते होगें।
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इससे यह कहना भी गलत नहीं होगा, कि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों और बुनियादी समस्याओं, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे तमाम मुद्दों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करवाने के लिए आगामी चुनावों में आदिवासी समाज को सरपंच से लेकर विधायक, सांसद डॉ हीरा अलावा की तरह चुनकर भेजना पड़ेगा। तभी आदिवासी विकास संभव हो पायेगा।