आदिवासी बाहुल क्षेत्रों में शराब का खूला कारोबार, गरिबों के घरों की बिगड़ेगी अर्थव्यवस्था 

बाग (चन्द्रपाल अजनारिया)। धार जिले के आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र में अवैध रूप से अंग्रेजी शराब का कारोबार खुले रूप से हो रहा है। और क्यों ना हो जब भारत की अर्थव्यवस्था इस शराब पर टिकी हुई है। 



बाग जैसे आदिवासी बहुल पिछड़े़े ग्रामीण क्षेत्र में अवैध शराब का व्यापार तो सोने के खान के बराबर है। इस अवैध शराब के व्यापार से किसका भला होगा। यह तो शायद सब जानते है। अर्थव्यवस्था के नाम पर आदिवासी समाज के लोगों से छल किया जा रहा है। 


अगर शराब से देश की अर्थव्यवस्था ठीक होती है तो घरों की अर्थव्यवस्था खराब हो रही है। खासतौर पर धार जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थिति गंभीर है, जो खुद पहले इस बीमारी से ग्रस्त है। आदिवासी बहुल क्षेत्र में किसी का ध्यान प्रवासी मजदूर पर नही जा रहा है। कैसे वह लोगों अपनी मातृभूमि आयेंगे।अगर कोई आ भी जायेंगा तो इस अंग्रेजी शराब का शिकार हो जायेंगा। जितना कमाया, उतना खत्म करेंगा। भारतदेश की आजादी से पूर्व जहाँ हमारे भगतसिंह, सुभाष चन्द्र बोस, प. मदनमोहन मालवीय आदी ने विरोध किया था। वहीं वर्तमान समय में आज सरकार खुद शराब के भरोसे है।