15 सूत्रीय मांगो को लेकर भीलीस्थान टाइगर सेना (BTS) ने मुख्यमंत्री के नाम लिखा पत्र

उदयपुर (प्रभुलाल गरासिया)। भीलीस्थान टाइगर सेना राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल डिंडोर ने राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नाम15 सूत्रीय मांगों का एक पत्र लिखा।



भीलीस्थान टाइगर सेना ने राजस्थान सरकार द्वारा कोरोना महामारी से लड़ने के अब तक के सफल प्रयासों की सराहना की।

भीलीस्थान टाइगर सेना ने कहा कि लॉक डाउन के बाद इसके दुष्परिणाम भी सामने आए, लॉक डाउन के बाद सबसे ज्यादा निराश ओर हताश वह मजदूर,किसान वर्ग है, जो फेक्ट्री में काम करते है,दिहाड़ी मजदूर, सड़को पर रोज काम करने वाले, रेहड़ी पटरी पर फुटकर विक्रेता, सब्जी विक्रेता, छोटे दुकानदार आदि सब घर बैठ गए है, उनके पास कोई रोजगार नही बचा। भुखमरी की समस्या हो गई है, इससे निजाद दिलाने हेतु कुछ आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। जिससे तत्काल सबसे निचले तबके को राहत पंहुचाई जा सके।

 

भीलीस्थान टाइगर सेना राज्य कमेटी द्वारा 15 सूत्रीय एक मांग पत्र मुख्यमंत्री के नाम दिया गया।

 

(1) कोरोना से निपटने के लिये हर जिला अस्पताल में टेस्ट की सुविधा और संख्या बढ़ाई जावे।

(2) नर्सिंग कर्मियों के रिक्त पदों पर तकाल भर्ती की जाए।

(3) महानरेगा के तहत 100 दिन के कार्य दिवस को बढ़ा कर 250 दिन किये जायें,जिससे ग्रामीण बेरोजगारी की समस्या हल हो सके।

(4) गॉव में पुराने जल स्त्रोतों/ कुआ, तालाब का जीर्णोद्धार किया जाए।

(5) नदियों पर एनीकट एवं डेम का निर्माण कराया जाए।

(6)निर्माण कार्यो में बड़े मशीन जेसीबी के इस्तेमाल को कम कर हॉथ के काम को प्राथमिकता दी जाए।

(7) जल संरक्षण का कार्य प्रमुखता से किया जाए।

(8) गाव के छोटे दुकानदारों को बिना ब्याज का ऋण मुहैया कराया जाए,जिससे कि वह गांव में भी व्यापार आसानी से कर सके।

(9) प्रदेश के सभी परिवारों को अगले 6 महीने का राशन निःशुल्क उपलब्ध कराया जाए।

(10) प्रदेश में खाद्य सुरक्षा प्रणाली,PDS को ओर प्रभावी बनाया जाए।

(11) अभी आपके द्वारा जारी 2% मंडी सेस को तुरंत वापस लिया जाए।

(12) किसानों के ऋण माफ़ किये जाए।

(13) सामाजिक सुरक्षा पेंशन को बढ़ा कर 1000 प्रतिमाह किया जाए।

(14) वन कर्मियों द्वारा भोले भाले आदिवासियों पर हो रहे शोषण एवं उत्पीड़न की घटनाओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।

(15) पैसा कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए एवं वन उत्पादन पर वहां के स्थानीय आदिवासियों का अधिकार हो, वनाधिकार के पट्टे अविलंब जारी किए जाए।