महुआ आदिवासियों का किशमिश एवं लाभकारी ओषधियों से भरपूर, अनेकों बीमारियों में काम आता है - राजू मुर्मू
◆ महुआ में है अनेकों लाभकारी ओषधिक गुण -
अप्रैल का महीना है महुआ के फूलों की सुंगध और उसकी मादकता अनायास ही आपके मनो को आकर्षित करने लगता है। झारखण्ड मध्यप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार में महुआ के वृक्षों की बहुतायत से पाई जाती है।
महुआ फूल को आदिवासियों का किशमिश कहा जाता है। मीठा और रास से भरपूर मन को मोहने वाला यह फल अत्यंत उपयोगी है। सदियों से इसके फल फूल बीज और इसके छाल संग्रह और संरक्षण दोनों किया जाता रहा है। पूरी ऊर्जा मिठास और मादकता से भरपूर प्रकृति का अनुपम उपहार है ये महुआ। संताली इसे "मतकोम" भी कहते है। इससे कई तरह के व्यंजन, जेम और लड्डू भी बनाये जा सकते है जो सभी उम्र के लोगों के सेहत के लिए अमृत है। शक्तिवर्धक और अपने औषधीय गुणों से भरपूर है ये फल, फूल और बीज। बीज से खाने का तेल और कच्चे फल से सब्जी और इसका फूल की खुशबू के क्या कहने। सभी तरह से उपयोगी है महुआ।
कृमिनाशक, कफ -खासी, पेट विकार और स्वसन आदि विकारो में अति लाभकारी है। इसके छाल का काढ़ा पिने से दस्त की समस्या से आराम मिलता है। इसके तेल से शरीर की त्वचा मुलायम हो जाती है। जिन लोगों को डायबिटीज यानि मधुमेह की समस्या है, उनके लिए महुआ एक औषधी के समान है। डायबिटीज के रोगियों के लिए महुआ की छाल से बना काढ़ा लाभदायक होता है। इसके औषधीय गुण शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद करते हैं। इसकी छाल से बनें काढ़े के नियमित सेवन से डायबिटीज के लक्षणें को दूर किया जा सकता है।
गढ़िया, बवासीर, दांत दर्द, त्वचा संबंधी विकारो में लाभ देता है।
आदिवासियों के लिए वरदान है इसका फल। लेकिन अफ़सोस हमारे समाज में इस फल की उपयोगिता को कम स्वीकारा गया और परिणाम स्वरुप इसके दुरपयोग से समाज परिवार नष्ट हो रहा है।
- राजू मुर्मू
(सिटीजन जर्नलिज़म फोरम), झारखंड