कोरोना की चपेट में भारत का गरीब, हाथ में बच्चे भुखे प्यासे सैकड़ों किलोमीटर पैदल उम्मीद का रास्ता


देवास (लोकसंवेदना दस्तक)। देश में गरीबों की हालत को जानकर भी अंजान क्यों ? कोरोना वायरस कि चपेट से पहले ही गरीब भुख और बेरोजगारी से मर जायेगा। सरकार को इस पहलू पर भी ध्यान देने की जरुरत। 


देश आजाद हुए तब से लेकर आज तक गरीबों का पलायन रोकने में नाकाम हुई सरकारें, शासकीय शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का बुनियादी ढ़ांचा सुधारने में नाकाम हुई सरकारें।



मीडिया और सोशल मीडिया पर मजदूरों का रैला देख सरकार का ध्यान इस ओर गया


22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू सफल रहा और जनता ने अपने घरों में रहकर पूरा सहयोग दिया। देश में कोरोना का खतरा नहीं टला, अब पूरे भारत मे लॉक डाउन है। कोरोना महामारी से बचने के लिए कौंई भी परिवार घर से बाहर नहीं निकलें। ताकि कोरोना वायरस की श्रंखला को फैलने से तोडा जा सके। इस दौरान देश में आवागमन के सारे रास्ते बंद हो गए जो जहां था वहीं रह गया। इस समय गांवों से शहरों की ओर मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालने पलायन करने वाले गरीब परिवारों के लिए घरों की ओर आने का कौंई संसाधन नहीं। सारे काम कारखाने बंद समस्या कहाँ रूके और क्या खायें। इस संकट से बचने के लिए मजदूरों ने घर वापसी की सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल ही तक करना उचित समझा। साथ में बच्चे और सिर पर सामान लेकर निकल पड़े। इनको घर कैसे भेजें इस ओर सरकार का कौंई प्लान तैयार नहीं था। मीडिया और सोशल मीडिया पर मजदूरों का रैला देख सरकार का ध्यान इस ओर गया।



कितने प्रतिशत जनता धारावाहिक देखने की मांग कर रहे हैं ? अरे उन जनता से भी पूछो जिन्हें दैनिक रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएँ से वंचित हैं। उन दैनिक मजदूरों से पूछो जो रोज के 2 से 3 सौ रुपये बड़ी मुश्किल से कमाते थे। उन कामगारों से पूछो जो अपनी आजीविका कमाने अन्य शहरों में प्रवास कर रहे थे अब उनके पास कोई काम नही। उन रिक्सा चालको, ऑटो चालकों, बस चालको से पूछो की घर कैसे चलाओगे ? उन गरीब बीमारों से पूछो की अपनी दवाइयां कैसे लाओगे क्योकि उनके पास आजीविका के कोई साधन नही। उन दूर दराज के ग्रामीणों से पूछो जिन्हें अपने लिए नून तेल लेने के लिए भी दस किलो मीटर पैदल चल कर जाना पड़ता है ?



किनको धारावाहिक दिखाएंगे और क्यो ?


अरे साहब, ऐसी विकट परिस्थिति में भी राजनीतिक करना ठीक नहीं।देश के गरीब जनता इस विकट स्थिति में डरे हुए अपने अपने घरों में दुबके पड़े हुए हैं। अपने अपने घरों की ओर लौट रहे दैनिक मजदूरी करने वाले, किसी फेक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को पुलिस धर के पिट रही है। क्या कसूर है उनका ? केवल अपने घरों को लौटना ही चाहते हैं ना ? क्या आपने उनके घर पहुचाने का कोई इंतजाम किया है ? किनको धारावाहिक दिखाएंगे और क्यो ? अगर गरीब जनता को उनके दैनिक जरूरत की वस्तुएं प्रदान करते और कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क, सैनिटाइजर आदि फ्री देते तो बहुत खुशी होती। लेकिन इसके विपरीत आपके पुलिस प्रशासन के जवान तो सड़को में यमदूत की तरह गरीब जनता को ही बजा रहे हैं। ऐसा अन्याय मत कीजिये जनाब गरीब जनता पर।



लाखो लोग अपने परिजनों से दूर अन्य शहरों में जरूरी वस्तुओं के अभाव में फंसे हुए हैं उनकी भी चिंता करे। ये धारावाहिक दिखाने से गरीब जनता के दुख और परेशानियां कम नही होगी बल्कि उनको जरूरत की चीजें दीजिये तभी जनता इस भयानक परिस्थियों से उबर पाएंगे।


 - राजू मुर्मू (सिटीजन जर्नलिज़म फोरम)