धार/मध्यप्रदेश। प्रदेश के मालवा निमाड़ अंचल के प्रमुख जिलों एवं राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र के मध्य प्रदेश से लगे हुए जिलों में होलिका दहन के एक सप्ताह पूर्व लगने वाले हाट बाजार को भोंगर्या कहा जाता है ।
भोंगर्या हाट के अतीत में जाते हैं तो बरसों पहले आदिवासी समाज में परिवार का मुखिया जिसमें महिला या पुरुष ही हाट बाजार की सामग्री लेने के लिए जाया करते थे । भोंगर्या हाट जिस मौसम में आता है उस समय तक खेती किसानी की फसलें निकालकर घर में ले आते या बेच दी जाती है और कुछ फुर्सत के क्षण होते है । उस जमाने में आवागमन एवं संचार के साधन भी बहुत कम हुआ करते थे । ऐसी स्थिति में होलिका दहन के एक सप्ताह पूर्व लगने वाले भोंगर्या हाट में परिवार के सारे लोगों को जाने की छूट होती थी । क्योंकि आसपास के इलाके के सारे गांव के लोग इस हाट बाजार में आते थे ।
अतः इस अवसर पर सारे सगा संबंधी व परिचित मित्रों से मिलने का अवसर मिल जाता था । इसलिए इतिहास में भोंगर्या हाट का विशेष महत्व हुआ करता था । लेकिन वर्तमान समय में आवागमन एवं संचार के साधन इतने ज्यादा हो गए हैं कि अपने सगे संबंधियों से रोज मोबाइल पर बात होती है और किसी न किसी सामाजिक, पारिवारिक व मांगलिक कार्यक्रम में रिश्तेदारों से भी मिलना हो जाता है । इसलिए आज के दौर में भोंगर्या हाट का महत्व कम होते जा रहा है । किसी समय आदिवासी समाज उसके ऊपर की जा रही टिका टिप्पणी के बारे में कोई भी क्रिया प्रतिक्रिया नहीं देता था । तब प्रचार प्रसार के सारे माध्यम अर्थात इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया तथा किताबों में भोंगर्या हाट को लेकर अलग-अलग प्रकार की भ्रांतियां फैलाई गई और आदिवासी समाज को बदनाम किया गया ।
लोगों तक जो बातें उक्त माध्यम पहुंचाई गई लोगों ने भी उसे ही सही मान लिया । लेकिन पिछले दो दशकों से आदिवासी समाज के जागरूक लोगों ने भोंगर्या हाट को लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार के खिलाफ लगातार संघर्ष किया और आज दिनांक तक मध्यप्रदेश की विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित करवाने तथा आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था, मध्यप्रदेश शासन रिसर्च संस्था से रिसर्च रिपोर्ट प्रस्तुत करवाने में कामयाबी हासिल की गई है । जिसका निष्कर्ष यही है कि भोंगर्या एक हॉट मात्र है ना कि आदिवासियों का कोई त्यौहार है तथा इससे भोंगर्या हाट को आदिवासियों के प्रणव पर्व, वैलेंटाइन डे, भाग कर शादी करना आदि गलत नामों से दुष्प्रचारित करने पर रोक लगी है । किंतु समाज के कुछ जनप्रतिनिधि एवं युवा साथी जो इन वास्तविक तथ्यों से अनभिज्ञ है वह कभी-कभी जाने अनजाने में दूसरे लोगों के द्वारा कही गई बातों को ही दोहराने लगते हैं तथा अवांछित गतिविधियों को अंजाम देने का प्रयास भी करते हैं ।
पिछले तीन-चार वर्षों से राजनीतिक विचारधारा के लोगों के द्वारा इस हाट में गेर निकालने का प्रयास भी किया गया । जबकि आदिवासी समाज या अन्य समाज में गैर होलिका दहन के पश्चात ही निकाली जाती है । लेकिन अभी इस प्रकार की गतिविधियों पर समाज के सामाजिक संगठनों ने रोक लगाने का प्रयास किया है । फिर भी कुछ समाज के जनप्रतिनिधि तथा राजनीति की दिशा में अपने कदम बढ़ाने वाले साथियों द्वारा अपनी प्रसिद्धि पाने के लिए भोंगर्या हाट को लेकर गलत कमेंट कर रहे हैं। उन्हें तुरंत रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए।
भोंगर्या हाट में सड़ी गली सामग्री बिल्कुल भी नहीं खरीदना चाहिए तथा शराब बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए । समाज के जितने भी युवा इस हाट में जाते हैं वह हॉट में मिलने वाले लोगों को आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा, इतिहास एवं उनके पारंपरिक तथा संवैधानिक हक अधिकार के बारे में जानकारी दें तो समाज हित में होगा और समाज को आर्थिक क्षति होने से भी बचाया जा सकता है। इलाके में जितने भी हाट बाजार लगते हैं उसमें व्यापारी तो खूब पैसा कमाता है लेकिन समाज लूटा जाता है। सड़ी गली सामग्री का सेवन कर बीमार होता है तथा शराब का अत्यधिक सेवन कर अपनी सेहत तथा माली हालत भी खराब करता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भोंगर्या हाट आदिवासियों समाज का किसी भी प्रकार का कोई त्यौहार नहीं है जिसमें किसी देवी देवता की पूजा की जाती है। अतः भोंगर्या हाट को आदिवासियों का त्यौहार कहना भी पूर्णता गलत है। विशेषकर के आदिवासी समाज के युवा साथी भोंगर्या हॉट को लेकर आदिवासी समाज तथा अन्य समाज में फैलाई गई भ्रांतियों को दूर करने में अपनी अहम भूमिका निभाईये।