देवास। म.प्र.अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स)के तत्वावधान में मल्हार स्मृति मंदिर प्रांगण में संत शिरोमणि रविदास जी की 643 वीं जयंती मनाई गई। कार्यक्रम के मुुख्य अतिथि पूर्व जिलाध्यक्ष रतनलाल मालवीय थे। विशिष्ट अतिथि समाजसेवी बाबूलाल मालवीय, जी.पी. डोंगरे थे। अध्यक्षता अजाक्स जिलाध्यक्ष कैैलाश मालवीय ने की। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर संत शिरोमणि रविदास जी के चित्र पर माल्यार्पण किया। वरिष्ठ वक्ताओं नेे संत रविदास जी से जुड़ी कई किवदंतियां, कथाओं का सार बताते हुए संत श्री के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। इस अवसर कैलाश मालवीय ने कहा कि हर महापुरूष की जयंती पर अगर एक दुव्र्यसन या एक बुराई छोडऩे का प्रण ले लें तो हमारे जीवन से कई बुराईयां दूर हो जाएगी। जांगड़ा समाज जिलाध्यक्ष एवं अजाक्स जिला महासचिव संतोष बारोलिया ने कहा कि रविदास जी ने जीविका के साधनो की स्वच्छता, कर्म की स्वच्छता और समाज में समानता पर बल दिया था। बारोलिया ने दुव्र्यसनों के सेवन से मुुक्त रहने की शपथ दिलाई। रतनलाल मालवीय ने कहा कि संत रविदास जी का जन्म सन 1377 में काशी के सिरगोवर्धनपुरा गांव में हुआ था, इनके पिता राघवजी माता कर्मा देवी एवं पत्नी भगवती लोना थी। आपके गुरू तत्कालीन प्रख्यात गुरू रामानंद जी थे। रविदास जी की कई चमत्कारिक किवदंतियों के कारण राजा रतनसेन, झाली बाई, मीरा बाई ने इनसे नामदान लिए और इन्हे गुरू माना। सन 1527 में चित्तोडगढ में इनका महापरिनिर्वाण हुआ। जी.पी. डोगरे ने कहा कि हमें महापुरूषों, गुरूओं के चित्रों के साथ साथ उनका साहित्य भी अपने घरों में रखना चाहिए एवं उनकी वाणियो को अपने जीवन में उतारना चाहिये। इस अवसर पर हेमराज गोखले, महेन्द्र परमार, नाजी जिलाध्यक्ष राजेश ऐरवाल, महेश झरोखा, राजाराम मालवीय, गंगाराम मालवीय, विजयराम मालवीय, ईश्वरसिंह हरोडे, मदनलाल मालवीय, पंकज चौहान, पन्नालाल चौहान, सुशीला चौहान, एकता डुमाने, कला कलथिया, भेरूलाल कलथिया, विक्रमसिंह अंगोरिया, सोनू चौहान, शुभम बारोलिया आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन हेमराज गोखले ने किया तथा आभार जगदीश मालवीय ने माना।