प्रभु की कथा का यदि एक भी आदर्श अपना लें तो बन सकते हैं महापुरुष, भक्तो ने मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

देवास। पृथ्वी पर जब-जब पाप और अत्याचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्री हरि अपने भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। श्रीहरि का श्रीकृष्ण अवतार भी इसी के लिए हुआ था। अपने जन्म के तुरंत बाद पूतना के वध के साथ ही राक्षसों के संहार शुरू कर दिया था। उक्त बात राजाराम नगर स्थित श्री सिद्धी विनायक गणेश मंदिर के 25वें स्थापना दिवस उपलक्ष्य में चल रही श्रीमद भागवत पुराण में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में व्यासपीठ से पं. अशोक चौबे ने कहीं। मंदिर समिति सदस्य बाबूलाल पवार ने बताया कि कथा के चतुर्थ दिवस श्रीकृष्ण जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भक्तो ने श्रीकृष्ण जी को पालने में झूला झूलाया, माखन मिश्री भोग लगाया और आशीर्वाद प्राप्त कर नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल से पाण्डाल गुंजायमान कर दिया। कृष्ण जन्म पर भजनों की प्रस्तुतियां भी दी गई। आज गुरूवार को गोवर्धन पूजा का सचित्र प्रसंग होगा। महाराज श्री ने आगे कहा कि कंस ने उन्हें मारने के लिए गोकुल में अपने राक्षसों को कई बार भेष बदलकर भेजा, लेकिन अपने काल को टालने में वह सफल नहीं हो सका। आखिर में कृष्ण ने मथुरा आकर ही उसका वध किया। कथा वाचक श्री नागर ने कहाकि, प्रभु की कथा से हमें कई आदर्श देखने को मिलते हैं। आज का मनुष्य यदि इनमें से किसी एक ही आदर्श का अनुशरण अपने जीवन में कर ले तो निश्चित ही वह महापुरुष बन सकता है, लेकिन आज का व्यक्ति भगवान की बात भी करता है और पाठ, पूजन भी लेकिन उनके बताए आदर्शों का अनुशरण नहीं करता है। कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। व्यासपीठ की आरती पं. सत्येन्द्र शर्मा, ओमप्रकाश महेश्वरी, अशोक कुमार चौधरी, विलास करोड़े, करणसिंह दरबार, जयनारायण उपाध्याय, बीएस खत्री, सिद्धेश्वर शर्मा, मुकेश जैन ने की। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी।