एमवाय अस्पताल में डेढ़ साल में थैलेसीमिया, ब्लड कैंसर, सिकलसेल से पीड़ित 24 बच्चों का हुआ सफल इलाज (खुशियों की दास्ताँ)
इंदौर। जिले के देपालपुर निवासी मोहम्मद अमीन ने बताया कि उनके पुत्र अरशद को जन्म के 6 महीने बाद ही हिमोग्लोबिन कम हो गया तो ब्लड चढ़ाया गया। दोबारा यही स्थिति बनी तो जाँच कराई। उसमें थैलेसीमिया का पता चला। आज बच्चा 6 साल का है। हर महीने ब्लड चढ़ाना पड़ता था। 14 जनवरी को एमवाय अस्पताल इंदौर में ट्रांसप्लांट हुआ। ट्रांसप्लांट के बाद से ब्लड नहीं चढ़ाया जा रहा है। अब दवाई भी बंद हो चुकी है और वह बिल्कुल स्वस्थ है।
इसी तरह कटनी निवासी मयंक की माँ पूनम भागवानी ने बताया कि पहले हर माह मयंक को ब्लड चढ़ाना पड़ता था। बार-बार ब्लड चढ़ाने से हालत गंभीर हो रही थी। वहीं अन्य अंगों पर भी असर हो रहा था। 15 जनवरी को ऑपरेशन हुआ। बोनमैरो ट्रांसप्लांट के बाद से अभी तक ब्लड नहीं चढ़ाया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट के गृह जिले इंदौर में प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय एमवाय अस्पताल में वर्ष 2018 में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की शुरूआत हुई है। अब तक 25 बच्चों का यहां ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। 2018 में 7 बच्चों का ट्रांसप्लांट किया गया था, वहीं 2019 में 18 बच्चों का ट्रांसप्लांट किया गया। थैलेसीमिया के अलावा सिकलसेल, ए प्लास्टिक एनीमिया व ब्लड कैंसर से ग्रस्त बच्चों का ट्रांसप्लांट हुआ है।
एमवाय अस्पताल की पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट प्रोफेसर डॉ. प्रीति मालपानी ने बताया कि थैलेसीमिया, सिकलसेल, ए प्लास्टिक एनीमिया व ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चे जो हर माह खून चढ़ाने पर ही स्वस्थ रह सकते थे। अब वे सामान्य बच्चों की तरह जीवन जी रहे हैं। एमवाय अस्पताल की बोनमैरो यूनिट में पिछले डेढ़ साल में 25 बच्चों का ट्रांसप्लांट किया गया। इनमें से 24 बच्चों को ऑपरेशन के बाद से खून नहीं चढ़ाया गया है। कई बच्चों की दवाई भी बंद हो चुकी है। सिर्फ एक बच्चे का ट्रांसप्लांट चार माह बाद इसी यूनिट में दोबारा किया जायेगा। इस अस्पताल में बोनमैरो ट्रांसप्लांट नि:शुल्क किया जा रहा है। अभी लगभग 25 बच्चे और रजिस्टर्ड हैं, जिनका बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया जाना है।