छोटी-छोटी बातों में झगड़ा और लड़ाई करने की बजाय संवाद करना जरूरी

जय जगत पदयात्रा-
--------------
बापू ने हमेशा से कहा मेरा जीवन ही मेरा संदेश है, जो भी उन्होंने कहा उसे अपने आचरण में जिया- श्री राजगोपाल पीव्ही


बैतूल। धरती को हमनें धरती माता कहा। गंगा को हमनें गंगा मईया कहा, लेकिन हमने अपने स्वार्थ में धरती माता में जहर बो दिया है। कारखानों के कचरे नदियों में डाल रहे हैं। हमने मईया कहकर भी मईया को सम्मान नहीं दिया है। हमारे कहने और करने में जो अंतर आ रहा है सारी समस्याओं का जड़ है। बापू ने हमेशा से कहा मेरा जीवन ही मेरा संदेश है, जो भी उन्होंने कहा उसे अपने आचरण में जिया। आज हम सभी को अपने जीवन में इस व्यवहार को लाना जरूरी है ताकि हम गांधी के रास्ते दुनिया को सुंदर बना सकें। ग्राम डहुआ में सभी ग्रामवासी को संबोधित करते हुए जय जगत यात्रा के संयोजक एवम् नेतृत्वकर्ता श्री राजगोपाल पीव्ही ने यह बात कही। सोमवार की सुबह जब यात्रा बसंत पब्लिक स्कूल पहुंची तो बच्चों को संबोधित करते हुए उन्होंने छोटी-छोटी बातों में झगड़ा और लड़ाई करने की बजाय संवाद कर के सुलझाने को प्रेरित किया।  


जय जगत यात्रा की अंतरराष्ट्रीय समन्वयक जिल कार हैरिस ने फॉलोसिफर थिक नाथ हान की बात को याद करते हुए कहा कि हिंसा और अहिंसा हमारे अंदर ही मौजूद है। यदि हम अहिंसा के बीज को पानी देंगे तो करुणा, दया, क्षमा अपने आप पनपेगा। फ्रांस से पदयात्री लैहौंज ने कहा कि भारतीय संस्कृति फ्रांस की संस्कृति से भिन्न है लेकिन मानवाधिकार बहुत जरूरी है।


यात्रा के 90 दिन पूरे होते हुए सभी पदयात्री डहुआ होते हुए बैतूल के चिखलीकलां पहुंचे। विभिन्न जगहों पर स्वागत के दौरान स्थानीय लोगों के साथ-साथ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री सुखदेव पांसे, एसडीओपी सुश्री नम्रता सौंधिया, तहसीलदार सुश्री सृष्टि शाह मौजूद रहीं।


02 अक्टूबर 2019 से शुरू जय जगत 2020 वैश्विक पदयात्रा के 90 दिन पूरे होकर यात्रा दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश के ललितपुर, मध्यप्रदेश के मुरैना, सबलगढ़, ईशागढ़, अशोकनगर, विदिशा, रायसेन, भोपाल, होशंगाबाद, हरदा होते हुए बैतूल जिले के चिखलीकलाँ पहुँच चुकी है। पूरी दुनिया में गरीबी उन्मूलन, जलवायु संकट, असमानता खत्म करने और युद्ध रहित दुनिया के संदेश के साथ विश्व के 16 देशों से 50 पदयात्री पूरे 365 दिन तक 10 देशों ईरान, अर्मेनिया, जॉर्जिया, बुल्गारिया, क्रोएशिया, इटली आदि से होते हुए अगले वर्ष अक्टूबर 2020 में स्विट्जरलैंड, जिनेवा पहुंचेंगे।


यात्रा में शामिल 50 पदयात्री 15 अलग अलग देशों से और भारत के अलग अलग प्रान्तों से हैं। जिनमें पश्चिम बंगाल से देबाशीष, छत्तीसगढ़ से मुरली, मध्यप्रदेश से खुशबू चौरसिया, भिण्ड से नीरू दिवाकर, छिंदवाड़ा से मुदित श्रीवास्तव,  उत्तरप्रदेश से आशिमा, राजस्थान से जय सिंह जादौन, गुजरात से पार्थ, केरल से अजित, बिहार से सन्नी कुमार, तमिलनाडु से श्रुति आदि शामिल है।