देवास। उज्जैन रोड़ पर हनुमान मंदिर को बिना भक्तों को सूचना दिये तोड़ा गया है। उसको पुन: निमार्ण की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता आरबी भाई पटेल ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। श्री पटेल ने बताया कि उज्जैन रोड पर वाल्मिक धाम हनुमान खेड़ापति मंदिर, महाकालेश्वर शिव मंदिर जो पिछले 40 वर्षों से अधिक समय से बना हुआ था। जिसमें शहर के खेड़ापति सरकार की पूजा करने वाले शहर के समस्त भक्त जाकर पूजा व आराधना करते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्ष पहले नगर निगम अधिकारी/जन प्रतिनिधियों द्वारा यह आपत्ति लगाकर कि यह सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण है। इस विचारधारा से मंदिर को ध्वस्त/तोड़ दिया गया। बाद में जब अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों नगर पालिका निगम को यह असाहस हुआ कि गलती से मंदिर तोडय़ा है। तो नगर निगम द्वारा उसका पून: निमार्ण किया गया। समझौता यह हुआ की मंदिर बीच में रहेगा मंदिर के दोनों ओर से रोड़ बनेगा।
प्रशासन द्वारा फोर लाईन उज्जैन रोड़ को चौड़ा करने कि योजना का हवाला/उल्लेख करते हुऐ। पुन: अतिक्रमण बताते हुऐ वाल्मिक धाम संस्था पर एवं सार्वजनिक हनुमान खेड़ापति के भक्तों को बिना विश्वास में लिये कुछ स्वार्थी तत्वों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की दृष्टि कार्यालय कलेक्टर एवं नगर निगम आयुक्त द्वारा बिना सूचना पत्र दिये/दैनिक समाचार पत्रों में आपत्ति लेने वाले भक्तों को प्रकाशित की है। मंदिर तोडऩे के पश्चात हनुमान खेड़ापति के समस्त भक्तों द्वारा अपनी विशेष आपत्ति दर्ज कराते हुऐ पिछले पाँच दिनों से मंदिर टुटने के दिनांक से पूजा - पाठ भजन-किर्तन प्रारंभ कर अपनी आपत्ति जिला प्रशासन एवं नगर निगम आयुक्त को पुन: पाँच दिन मंदिर निमार्ण करने हेतु ज्ञापन पत्र सौपा था। उन्हें कलेक्टर कार्यालय एवं आयुक्त कार्यालय ने मंदिर तोडने के पूर्व सूचना पत्र नहीं दिया। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की एक बैठक आयोजित कर वाल्मिक समाज के प्रतिनिधि/पंचायत प्रतिनिधि को बुलाकर उनके समक्ष जनहित एवं मानवीय एवं समाज द्वारा पुर्व में कई बार त्याग कर मिशाल कायम की है। दबाव डाला गया।
किसी भी वाल्मिक समाज के सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर नहीं दिया गया। अधिकांश इसमें बुलाये गये प्रतिनिधि कभी वाल्मिक धाम हनुमान मंदिर में जाकर ना पूजा की ना दर्शन लाभ लिया। हमेशा समाज विरोधी गतिविधियों लिपत रहे इसका उदाहरण है। समाजिक कार्यकर्ता द्वारा जिला प्रशासन नगर निगम प्रशासन अनुसूचित जाति कार्यालय की जिला संयोजक से प्रार्थना पत्र देकर गोगा देव मंदिर को स्थापित करने हेतु तीन चबुतरे, नई आबादी बस्ती भवानी सागर एवं जबरन कॉलोनी में निमार्ण हेतु स्वीकृति राशि 12,000/- रूपये स्वीकृत करा कर चबुतरों का निमार्ण कराया। एवं धर्मशाला बनाने के लिये 1,25,000/- रूपये स्वीकृत कराये लेकिन आज दिनांक तक इन्होंने धर्मशाला नहीं बनने दी। चबुतरों का विरोध कर तीनों बस्तीयों से गोगा देव चबुतरे तोडें गये जबकि प्रतिवर्ष गोगा देव उत्सव मनाने के लिये सहयोग राशि नगर निगम से प्राप्त करते है। और विकास प्राधिकरण को झूठ बोलकर गोगा देव मंदिर बनाने के स्थान पर गोरखनाथ मंदिर का निमार्ण कराया एवं गोगा देव की मुर्ति के स्थान पर गोरखनाथ मुर्ति की स्थापना की गई। म.प्र. में इन्दौर, उज्जैन, भोपाल आदि स्थानों पर मंदिर एवं दरगाह बीच रोड़ों पर बने हुऐ है जन भावनाओं के कारण इन्हें वर्षों से नहीं हटाया गया। श्री पटेल ने जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर निगम प्रशासन से मांग की है कि जनहित एवं मानवीय आधार पर समस्त भक्त हनुमान मंदिर के एवं वाल्मिक समाज के धार्मिक प्रवृत्ति वाले समस्त सामाजिक कार्यकर्ताओं को सूचना पत्र देकर एवं समाचार पत्रों में प्रकाशित कर कार्यालय में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में विचार कर निर्णय लें।