अस्मिता और स्वाभिमान को यदि ठेस पहुंचे तो रणचंडी का रूप लिए नारी मात भवानी बन जाओ....

संस्था परवाज़े कलम की मासिक काव्यगोष्ठी और नशिस्त सम्पन्न

 

देवास। कश्ती न बन सके तो फिर पतवार में ढले, टूटे तो टूटकर भी हम मैयार में ढले- जब देवास शहर के युवा कवि और शायर देव निरंजन ने ये पंक्तियाँ पढ़ी तो महफि़ल ने आसमान की बुलंदियों को छू लिया। आयोजन था गंगो जमनी साहित्यिक संस्था परवाज़े कलम की मासिक काव्यगोष्ठी और नशिस्त का जो एक शाम ग़ालिब के नाम से गोमती नगर में रविवार शाम आयोजित की गई। नशिस्त की शुरुआत शायर मोईन खान मोईन ने नाते पाक से की। महफि़ल की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर और उर्दू के जानकर विक्रम सिंह गोहिल ने की, मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर हन्नान फारुखी और फिरोज खान उपस्थित थे। उर्दू के आलिम और वरिष्ठ शायर जनाब विक्रम सिंह गोहिल ने कहा - हवाओं आजमालो आज तुम भी, नशेमन खुद जलाना चाहता हूँ। शिरी जुबां के शायर और दिलकश तरन्नुम के मालिक जनाब मोईन खान मोईन ने कहा -मोइन राह तकता रह गया है, अगर आना था तो आना चाहिए था युवा शायर जनाब जय प्रकाश जय ने अपने नायाब खय़ाल पेश करते हुए कहा -  इससे ज़्यादा का तो दावा भी नही करता मैं शहर का शहर न आए वो ज़ुरूर आएगा। शायर रणजीत राही ने गम की तस्वीर अपने लफ्ज़़ों से बनाते हुए कहा - अब भूलकर नहीं करेगा उल्फत ये राही, उसने दिल में ज़ख्म ये गहरा दिया मुझे युवा शायर फुरकान खान ने अपने अलग अंदाज़ और लहजे में कहा - शबे तन्हाई गुजरने से रही , क्यूँ समझते नहीं पागल आसूं । संजय सरल ने कहा - मिट  गये  हफऱ्  रह  गए  पन्ने, दास्ताँ अपनी  कह  गए पन्ने। इकबाल मोदी ने कहा - सफर में मुझसे दूर हुई बलाए, ये पुकार के, घर से रुखसत किया था माँ ने सदक़ा उतार के । मकसूद शाह ने कहा - क्या है फरमाइश ये बता तू, एसी ठंड में छोड़ के न जा तू। कवियत्री आरती गोस्वामी ने ओजस्वी वाणी से कविता प्रस्तुत कर काव्य गोष्ठी को देश भक्ति से ओतप्रोत करते हुए कहा -  अरिदल का मर्दन करने झाँसी की रानी बन जाओ, युगों युगों तक याद रहे वो ऐसी कहानी बन जाओ, अस्मिता और स्वाभिमान को यदि ठेस पहुंचाई जाए, रणचंडी का रूप लिए नारी मात भवानी बन जाओ। उभरते शायर शशांक ने कहा इस दिल से बढ़ा कोई भी शमशान नही है, जलती है चिता यादों की रोज़ाना यहाँ पर। देर रात तक चली काव्यगोष्ठी में कई श्रोताओं ने शायरी और कविताओ का भरपूर आनंद लिया। संचालन मोइन खान मोइन ने किया। अंत में विक्रम सिंह गोहिल द्वारा मिर्जा गालिब के जीवन पर रोशनी डाली और उनके नायब शेर पेश किए, शायर जय प्रकाश जय ने सभी शायरों और कवियों का आभार व्यक्त किया। यह जानकारी संस्था के नायब सदर देव निरंजन द्वारा दी गई।